February 10, 2025
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फर्स्ट ईयर में ही देना होगा पर्यावरण का पेपर : पर्यावरण पास हुए बिना डिग्री नहीं मिलेगी, आवेदन में इस विषय का चयन भी अनिवार्य

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ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर से ही पर्यावरण का पेपर देना अनिवार्य होगा। आवेदन के दौरान संबंधित विषय का चयन छात्रों को करना होगा। पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की ओर से इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। यह विषय इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद भी यदि पर्यावरण पास नहीं हैं तो डिग्री नहीं मिलेगी। विवि के अफसरों का कहना है कि पर्यावरण विषय की अनिवार्यता फर्स्ट ईयर से ही लागू है।

कॉलेजों से कहा गया है कि वे छात्रों को इसकी जानकारी दें। जानकारी के मुताबिक ग्रेजुएशन में पर्यावरण विषय में पास होना अनिवार्य है। फर्स्ट ईयर, सेकंड ईयर या फिर फाइनल ईयर, किसी एक वर्ष में इस विषय में पास करना जरूरी होता है। इस विषय के नंबर महायोग में नहीं जुड़ते इसलिए छात्र इस पर ध्यान नहीं देते।

पूर्व के वर्षों में यह देखा गया कि कई छात्र फर्स्ट ईयर में नहीं सेकंड व थर्ड ईयर में इसकी परीक्षा देते थे। कई ऐसे भी मामले आए जब छात्रों ने पर्यावरण की परीक्षा नहीं दी और ग्रेजुएशन के सभी विषय में पास कर गए। जब अंतिम अंकसूची व डिग्री की बारी आई तब मामला उलझा। इसलिए अब शुरुआत से यानी ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर से ही पर्यावरण की परीक्षा देना अनिवार्य किया गया है।

तीन से भरे जाएंगे वार्षिक परीक्षा के फार्म
रविवि की वार्षिक परीक्षा के लिए आवेदन की प्रक्रिया 3 जनवरी से शुरू होगी। सामान्य शुल्क के साथ 24 तक आवेदन किए जा सकते हैं। इसके बाद आवेदन के लिए छात्रों को विलंब शुल्क देना होगा। आवेदन को लेकर रविवि से सूचना जारी की गई है। इस बार भी आवेदन ऑनलाइन भरे जाएंगे। यूजी, पीजी, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा समेत अन्य की परीक्षा होगी। नियमित के छात्र परीक्षा के लिए प्राइवेट छात्र आवेदन कर सकते हैं।

बीए में हो सकते हैं सबसे अधिक छात्र
रविवि की वार्षिक परीक्षा में सबसे अधिक छात्र बीए में शामिल होते हैं। पिछली बार वार्षिक परीक्षा में करीब 1.47 लाख परीक्षार्थी थे। इसमें से बीए में करीब 70 हजार परीक्षार्थी थे। बीए में पिछली बार नियमित छात्रों की तुलना में प्राइवेट परीक्षार्थियों की संख्या अधिक थी। इस बार भी संभावना है कि बीए के लिए ही अधिक आवेदन मिल सकते हैं। पिछली बार बीकॉम व बीएससी में परीक्षार्थियों की संख्या 25-25 हजार थी।

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