सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार को हजारों गैर-लाभकारी संस्थाओं (एनजीओ) के लिए विदेशों से धन प्राप्त करने के लिए आवश्यक एफसीआरए लाइसेंस को नवीनीकृत करने से केंद्र के इनकार के खिलाफ एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। इस याचिका को अमेरिका स्थित एक गैर-सरकारी संगठन ग्लोबल पीस इनिशिएटिव ने दायर की है। इस याचिका में एफसीआरए लाइसेंस को नवीनीकृत ना करने वाली केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।
जानें याचिका में क्या कहा गया है?
अमेरिका स्थित गैर-सरकारी संगठन एनजीओ ग्लोबल पीस इनिशिएटिव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि लाइसेंस रद्द करने से कोरोना वायरस राहत प्रयासों पर कमजोर प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि देश संक्रमण की तीसरी लहर से जूझ रहा है। इन 6,000 एनजीओ ने अब तक लाखों भारतीयों की कोरोना काल में मदद की है। याचिका में कहा गया है कि जब तक भारत में कोविड-19 सरकार द्वारा धोषित राष्ट्रीय आपदा है, तब तक इन गैर सरकारी संगठनों के विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम या एफसीआरए लाइसेंस दी जाए।
याचिका में कहा गया है, “इन हजारों गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण को अचानक और मनमाने ढंग से रद्द करना संगठनों, उनके कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उन लाखों भारतीयों के अधिकारों का उल्लंघन है, जिनकी वे सेवा करते हैं।” याचिका में मदर टेरेसा द्वारा शुरू किए गए मिशनरीज ऑफ चैरिटी का भी जिक्र है।
याचिका में कहा गया है, “यह खासकर ऐसे समय में प्रासंगिक है जब देश कोविड -19 वायरस की तीसरी लहर का सामना कर रहा है। इस समय करीब 6000 गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद्द करने से राहत प्रयासों में बाधा आएगी और नागरिकों सहायता से वंचित रह जाएंगे।” याचिका में कहा गया है कि महामारी से निपटने में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका को केंद्र सरकार, नीति आयोग और यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय ने भी स्वीकार की है।