सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा हाई कोर्ट द्वारा लगाई गई ज़मानत की एक शर्त को ख़ारिज करते हुए कहा है कि इससे व्यक्ति के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन होगा.
हाई कोर्ट ने इस मामले में ज़मानत की शर्त के तौर पर बेल लेने वाले व्यक्ति के किसी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेने पर रोक लगाई थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस बीआई गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने ओडिशा के ब्रह्मपुर नगर निगम के मेयर शिव शंकर दास की याचिका पर ये आदेश दिया.
11 अगस्त, 2022 को हाई कोर्ट ने शिव शंकर दास को ज़मानत देते हुए ये शर्त लगाई थी कि “वे जनता के बीच कोई अवांछित स्थिति नहीं पैदा करेंगे और प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे.”
शिव शंकर दास ने एक याचिका के जरिए ओडिशा हाई कोर्ट से ये शर्त हटाए जाने की मांग की थी, लेकिन इस साल 18 जनवरी को अदालत ने उनकी याचिका ठुकरा दी, जिसके ख़िलाफ़ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.
22 मार्च को दिए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हमारी राय में ऐसी शर्त रखने से अपीलकर्ता के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन होगा और ऐसी कोई शर्त नहीं रखी जा सकती है. इसलिए हम हाई कोर्ट की ओर रखी गई इस शर्त को ख़ारिज करते हैं.”
शिव शंकर दास के वकील ने हाई कोर्ट से कहा था कि उनके मुवक्किल एक राजनीतिक व्यक्ति हैं और आगामी आम चुनावों के मद्देनज़र उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की इजाज़त दी जानी चाहिए.