महिलाएं अब समाज के विकास में भी सहभागी बनने आगे आ रही हैं। समाज की महिला विंग अपने समाज की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने, उन्हें आगे बढ़ाने तमाम प्रकार से सहयोग कर रही है। छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रहे हैं। महिलाओं को सिलाई मशीन देकर ट्रेनिंग करा रहे। शादी में होने वाली फिजूलखर्ची रोकने आदर्श विवाह जैसे आयोजनों को भी आकार दे रही हैं।
नशा मुक्त समाज बनाने शराबबंदी के लिए वॉलेंटियर की भूमिका भी निभा रही है। यही वजह है कि चाहे कोई भी समाज हो, उनकी शिक्षित महिलाएं खुद को आत्मनिर्भर करने के साथ ही गृहणियों को आर्थिक खुशहाली से जोड़ने प्रशिक्षण भी दिला रही। इससे पुरुष प्रधान समाज में भागीदारी से खास मुकाम भी बना लिया है।
अग्रवाल सभा महिला विंग, ब्राह्मण समाज, यादव समाज, सिंधी समाज की पहल से आया बदलाव, प्रतियोगी परीक्षाओं की दे रहे निशुल्क ट्रेनिंग, निर्धन कन्याओं का विवाह भी करा रहे
अग्रवाल समाज : महिलाओं को दिया रोजगार
अग्रवाल सभा महिला विंग की अध्यक्ष लता झांझडिया ने बताया कि हमारे विंग की पूर्व अध्यक्षों द्वारा शिक्षित महिलाओं का समूह बनाकर प्रदेश में हर वर्ग की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की पहल शुरू की। इनके प्रयास से हर साल 10 हजार से ज्यादा गरीब परिवारों को पुराने कपड़े बांटने के साथ ही घरेलू सामग्री देकर मदद की जा रही। ताकि गरीब तबके के लोगों को भी जीवन की मूलधारा से जोड़ा जा सके। इनके प्रयासों से 300 से ज्यादा महिलाओं को सिलाई मशीन दी गई। ताकि वे परिवार की आर्थिक खुशहाली में सहयोगी बन सके। स्कूलों में 10 हजार खर्च करके पेन-कॉपी का वितरण किया गया।
गुजराती समाज: 15 कन्याओं का कराया विवाह
गुजराती समाज महिला विंग की सचिव मिनल सचदेव ने बताया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ मुहिम चला रही है। अपने समाज या अन्य समाज के बारे में भी पता चलता है कि किसी भी बेटी को पढ़ने में परेशानी आ रही है, हम सभी पदाधिकारी आपस में राशि एकत्रित कर उनकी मदद कर रहे हैं। इसके अलावा अभी तक 15 से अधिक निर्धन कन्याओं के विवाह में मदद की है। आत्मनिर्भर बनाने महिलाओं को बीच-बीच में प्रशिक्षण और सामग्री दी जाती है।
यादव समाज: 550 छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग
बिलासपुर यादव समाज के महिला विंग की अध्यक्ष मंजू यादव ने बताया कि महिला विंग ने सबसे पहले महिलाओं को विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग दिलवाकर उन्हें पुरस्कृत कर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया। समाज की प्रतिभावान छात्राओं को मंच देकर सम्मानित किया। युवक-युवती परिचय सम्मेलन कराया। इसमें हर साल 5 गरीब कन्याओं के विवाह का खर्च उठाया गया।
25 से अधिक निर्धन कन्याओं का विवाह 5 साल में कराया गया। यादव समाज द्वारा छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग दी जा रही है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर परिवार मिलन, सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से परिवार को जोड़ना और दुख-सुख में सहभागी होने का कार्य किया जा रहा है।
ब्राह्मण समाज: 45 को स्वरोजगार से जोड़ा
ब्राह्मण समाज की रेखा पाण्डेय बताती हैं कि शिक्षित महिलाओं का समूह है, जो प्रशिक्षण कैंप में बेटियों और गृहणियों को आत्म निर्भर बनाने काम कर रहा है। 10 साल से बदलते दौर में नारी सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास किया। अभी तक 2 हजार से ज्यादा को ब्यूटी पार्लर, मेंहदी, डांस सहित 15 विधाओं में प्रशिक्षण दिलाया और 45 से ज्यादा ने खुद का काम शुरू किया। बाल संस्कार शिविर कन्याओं के लिए आयोजित किया जा रहा है।
सिंधी समाज: स्वास्थ्य, शिक्षा में सहयोग आत्मनिर्भर बनाने दे रहे प्रशिक्षण
भारतीय सिंधु सभा महिला विंग की राष्ट्रीय महामंत्री विनीता भावनानी, पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत की अध्यक्ष राजकुमारी मेहानी, भारतीय सिंधु सभा महिला विंग की अध्यक्ष कंचन मलघानी ने बताया कि सिंधी समाज में महिला विंग द्वारा युवतियों व महिलाओं को पढ़ाई में सहयोग राशि, विवाह योग्य आर्थिक रूप से कमजोर बालिकाओं की मदद, स्वावलंबी आत्मनिर्भर महिलाओं से पापड़, चिप्स, मसाले लेते रहने के लिए जागरूकता अभियान, स्वास्थ्य व शिक्षा के लिए सहयोग देने का लगातार कार्य चल रहा है।
हर वर्ष कुकिंग, बेकिंग, साजसज्जा, मेकअप, आचार, पापड़ आदि का प्रशिक्षण भी महिलाओं को दिया जा रहा है। जो महिलाएं आत्मनिर्भर हैं, उनका सम्मान कर औरों को भी प्रेरित करने का कार्य किया जा रहा है। जो अपने परिवार को समर्पित है, आत्म निर्भर हैं, परिवार के भरण पोषण के लिए विवाह नहीं की हैं, उनका सम्मान किया जा रहा है।
पंजाबी समाज: कर रहे हर जरूरतमंद की मदद
पंजाबी समाज महिला विंग की रोमी सलूजा ने बताया कि अपने समाज के अलावा उन्हें अगर किसी भी समाज के बारे में पता चलता है कि उसे स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह सहित अन्य किसी भी प्रकार की जरूरत है, उन महिलाओं, बेटियों की समाज के द्वारा लगातार मदद की जा रही है। हर साल 20 से 25 बेटियों की फीस जमा करती हैं। निर्धन कन्याओं के विवाह में मदद की जा रही है। समय-समय पर मातृछाया, वृद्धाश्रम, स्लम बस्तियों में सेवा कार्य किया जा रहा है। आगे भी ऐसे ही मदद करंंेगे।