February 10, 2025
छत्तीसगढ़

ओडिशा के पकड़े गए तस्करों से क्लू के बाद पुलिस की दबिश, रिटायर्ड एमआर गिरफ्तार

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राजधानी में नशीली दवाओं की तस्करी में पं. बंगाल का लिंक फूटा है। पुलिस ने प. बंगाल और ओडिशा में छापेमारी कर रिटायर्ड एमआर को पकड़ा। वह बंगाल में बैठकर नशीली दवाओं का रैकेट चला रहा था। एमआर बेहद शातिर है। वह कुरियर के माध्यम से ओडिशा में नशीली दवाओं की सप्लाई करता था। ओडिशा के तस्कर उसे रायपुर भेजते थे। प्रारंभिक जांच में बंगाल के कुछ बड़े दवा कारोबारियों का नाम सामने आए हैं। पुलिस ने उनकी तलाश शुरू कर दी है।

पुलिस अफसरों ने बताया कि पं. बंगाल कोलकाता निवासी अर्णब मजूमदार(62)दवा कंपनी में एमआर रह चुका है। लंबे अर्से तक दवा बाजार में काम करने के कारण मार्केट में उसकी अच्छी पकड़ है। उसे दवाइयों की जानकारी भी है। करीब छह साल पहले 2016 में अर्णब की मुलाकात भुवनेश्वर के तस्कर तापस कुमार से हुई थी। दोनों के बीच नशीली दवाइयों की खरीदी-बिक्री को लेकर सौदा हुआ। उसके बाद से अर्णब को मोबाइल पर तापस दवाओं के ऑर्डर देता था। उसके बाद अर्णब कुरियर के माध्यम से दवाइयां ओडिशा भेजता था।

6 साल से अर्णब घर बैठे इसी तरह से दवाओं की तस्करी कर रहा था। दवा मिलने के बाद तापस उसके पैसे अर्णब को ऑनलाइन सिस्टम से भेजता था। तापस के मोबाइल की जांच के दौरान ही अर्णब का क्लू मिला। उसके बाद पुलिस ने उसकी खोजबीन शुरू की। कोलकाता का पता मिलने पर वहां दबिश दी गई। अर्णब नहीं मिला।

वह पुरी गया था। पुलिस की टीम पुरी पहुंची। पुरी में उसे छापा मारकर पकड़ा गया। अब तक की जांच में पता चला है कि अर्णब बड़े डिस्ट्रीब्यूटर के संपर्क है। वह उनसे नशीली दवाइयां और इंजेक्शन लेकर ज्यादा दाम पर नंबर दो में बेच देता था। पुलिस ने अब बंगाल के डिस्ट्रीब्यूटर की तलाश शुरू कर दी है। उसका नाम और मोबाइल नंबर पुलिस को मिल गया है।

दवाइयों में बंगाल का बैच नंबर : पुलिस ने जब्त नशीली दवाइयों का बैच नंबर निकाला है। वह बंगाल का निकला है। बंगाल के कुछ दवा कारोबारियों को सप्लाई हुई थी। वहीं से दवा का स्टॉक ओडिशा पहुंचाया गया। फिर ओडिशा से तस्करों के माध्यम से रायपुर पहुंच गया।

बंगाल से कई राज्यों को दवाइयों की सप्लाई
पुलिस की पड़ताल में पता चला है कि बंगाल और ओडिशा से कई राज्यों को नशीली दवाइयों की सप्लाई हो रही है। इसमें बड़ा रैकेट काम कर रहा है। अफसरों को शक है कि दवा कंपनी की सांठगांठ से पूरा रैकेट चल रहा है। नशीली दवाइयों का नेटवर्क फोन पर चलता है। ऑर्डर मिलने के बाद कुरियर से सप्लाई की जा रही है। पुलिस रैकेट से जुड़े बड़े दवा कारोबारियों की तलाश में जुट गई है।

 

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