बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से राज्य शासन को तगड़ा झटका लगा है। मीसाबंदियों की ओर से दायर याचिका पर मंगलवार को चीफ जस्टिस एके गोस्वामी व जस्टिस एनके चंद्रवंशी के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने राज्य शासन की सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने मीसाबंदियों की वर्ष 2019 की रोकी गई सम्मान निधि का भुगतान करने का निर्देश जारी किया है। सम्मान निधि रोकने के शासन के फैसले को दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए फिर से लागू करने विचार करने को कहा है।
मंगलवार को चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने मीसाबंदियों की वर्ष 2019 में भौतिक सत्यापन के नाम पर रोकी गई सम्मान निधि की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने सम्मान निधि बंद करने के लिए वर्ष 2020 में राज्य शासन द्वारा जारी दोनों अधिसूचना को भी रद कर दिया है।
सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य शासन की ओर से विधि अधिकारियों ने अलग—अलग समय मे डिवीजन बेंच के समक्ष 39 रिट अपील पेश की थी। डिवीजन बेंच ने सभी अपील को खारिज कर दिया है।राज्य शासन के फैसले के खिलाफ पांच मीसाबंदियों ने अपने वकीलों के जरिए अलग-अलग याचिका दायर कर वर्ष 2019 के सम्मान निधि के भुगतान की मांग की थी।
राज्य शासन ने वर्ष 2008 में लागू की थी योजना
केंद्र सरकार के बाद वर्ष 2008 में भाजपा की अगुआई वाली राज्य सरकार ने प्रदेश के मीसाबंदियों के सम्मान में जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि योजना की शुरुआत की थी। तब से लेकर वर्ष 2008 तक मीसा बंदियों को प्रति माह निधि का भुगतान किया जा रहा था। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बाद कांग्रेस सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर सम्मान निधि योजना को बंद करने का फैसला लिया।
जस्टिस कोशी के फैसले को दी थी चुनौती
वर्ष 2019 के रोके गए सम्मान निधि के भुगतान की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस कोशी ने राज्य शासन को भुगतान का निर्देश जारी किया था। सिंगल बेंच के फैसले को राज्य शासन ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी।