मेडिकल काॅलेज सिम्स में एमआरआई और सीटी स्कैन जांच में हो रहे फर्जीवाड़े की जांच शुरू हो गई है। खबर प्रकाशित होने के बाद सिम्स प्रबंधन ने चार डॉक्टरों की टीम को मामले की जांच करने का जिम्मा सौंपा है। टीम 5 दिन के अंदर जांच में हो रहे फर्जीवाड़े के दोषी की पहचान कर रिपोर्ट डीन और अधीक्षक को देगी। सिम्स अधीक्षक डॉ. नीरज शेंडे का कहना है कि मामले की जांच करने के लिए चार डॉक्टरों की टीम बना दी है।
एक आईडी से कई मरीजों की जांच कैसे, क्यों और कौन कर रहा है, इसका पता लगाने टीम सभी तरह के दस्तावेज खंगाल रही है। दोषियों की पहचान होने के बाद उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जांच कौन-कौन डॉक्टर कर रहे हैं? यह पूछने पर अधीक्षक बोले कि उनके नाम अभी नहीं बता सकते, क्योंकि नाम पता चलने के बाद दोषी उन पर दबाव बना सकते हैं। गोपनीय जांच है, इसलिए पूरी होने के बाद सबकुछ उजागर कर देंगे।
150 से ज्यादा फर्जी जांच कर लाखों दबा दिए
बता दें कि एक मरीज की आईडी से दो से तीन मरीजों की एमआरआई और सीटी स्कैन जांच की गई। पिछले एक साल में 150 से ज्यादा लोगों की फर्जी जांच कर लाखों रुपए कर्मचारियों ने दबा दिए। गोपनीय दरवाजे से आए इन मरीजों की जांच के पैसों का लेखा-जोखा सिम्स प्रबंधन के पास नहीं है। रेडियोलॉजी विभाग की एचओडी डॉ. अर्चना सिंह ने रजिस्टर और कंप्यूटर में हुई एंट्री का मिलान किया तो जांच में हुए इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। मामले की जानकारी दैनिक भास्कर को लगी तो पड़ताल कर खबर प्रकाशित की। अब मामले में जांच शुरू हो गई है।