April 21, 2025
छत्तीसगढ़

शराब घोटाले में फंसे रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

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छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में जेल में बंद रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है, जिससे उन्हें एक बड़ी राहत मिली है। टुटेजा पर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए गए थे और वे इस केस में काफी समय से न्यायिक हिरासत में थे।

सुप्रीम कोर्ट से राहत, लेकिन रिहाई नहीं:

हालांकि सर्वोच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बावजूद अनिल टुटेजा की रिहाई अभी संभव नहीं हो पाई है। इसकी वजह यह है कि EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) और ACB (भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो) भी इस मामले में अपनी अलग से जांच कर रहे हैं। इन एजेंसियों की जांचों के तहत टुटेजा पर अभी अन्य कानूनी प्रक्रियाएं जारी हैं, जो उनकी तत्काल रिहाई में बाधा बन रही हैं।

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और मुख्यमंत्री सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने 11 मई, 2022 को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत और अवैध दलाली के जरिए बेहिसाब काले धन का लेन-देन हो रहा है।

इस याचिका के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 18 नवंबर, 2022 को पीएमएलए एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। आयकर विभाग से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर जांच करते हुए ED ने कोर्ट में दायर चार्जशीट में 2161 करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा किया।

चार्जशीट में यह भी बताया गया कि वर्ष 2017 में आबकारी नीति में बदलाव कर CSMCL के माध्यम से शराब बिक्री की व्यवस्था लागू की गई थी। लेकिन 2019 के बाद, घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का प्रबंध निदेशक बनवाया। इसके बाद अधिकारियों, कारोबारियों और राजनीतिक प्रभावशाली लोगों के एक सिंडिकेट के ज़रिए सुनियोजित ढंग से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया।

कई एजेंसियों की जांच जारी

ईडी के अलावा, राज्य की EOW और ACB ने भी इस मामले में अपनी जांच शुरू की है। इन एजेंसियों ने भी टुटेजा के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज कर रखा है। यही कारण है कि भले ही सुप्रीम कोर्ट से उन्हें ईडी केस में जमानत मिल गई हो, लेकिन जब तक अन्य मामलों में कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक उनकी रिहाई संभव नहीं है।

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