January 22, 2025
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69 साल बाद आज एअर इंडिया की घर वापसी : देश की दूसरी बड़ी एयरलाइन होगी एअर इंडिया

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1.2 लाख करोड़ रुपए की देश की एविएशन इंडस्ट्री के लिए इस साल से काफी कुछ बदलने वाला है। सरकारी कंपनी एअर इंडिया आज यानी 27 जनवरी, 2022 से प्राइवेट हो जाएगी। एयर इंडिया को खरीदने के बाद टाटा देश की दूसरी बड़ी एयरलाइन बन जाएगी। एयर इंडिया के हैंडओवर से पहले टाटा संस के चेयरमैन PM मोदी से मिले।

एअर इंडिया ऑफिस पहुंचे चंद्रशेखरन

मुलाकात के बाद चंद्रशेखरन सीधे नई दिल्ली में एअर इंडिया के ऑफिस पहुंचे। दूसरी ओर देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ने बैंकों के समूह के साथ किसी भी तरह के लोन की जरूरत के लिए तैयार है। बैंक ने कहा कि वह एअर इंडिया को जितनी भी जरूरत होगी, वर्किंग कैपिटल और अन्य के लिए लोन देगा।

वहीं, एयर इंडिया के पास घरेलू और अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर कई महत्वपूर्ण उड़ानें हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि नए मैनेजमेंट के साथ डोमेस्टिक और इंटरनेशनल ट्रैवल करने वाले यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकती हैं।

टाटा ग्रुप ने कहा है कि शुरू में वह 5 फ्लाइट्स में फ्री में खाना उपलब्ध कराएगी। हालांकि अभी एअर इंडिया टाटा ग्रुप के बैनर तले नहीं उड़ेगी। जिन फ्लाइट्स में फ्री खाना मिलेगा, उसमें मुंबई-दिल्ली की दो फ्लाइट्स AI864 और AI687, AI945 मुंबई से अबूधाबी और AI639 मुंबई से बंगलुरू शामिल हैं। इसके अलावा मुंबई-न्यूयॉर्क के रूट पर चलने वाली फ्लाइट में भी फ्री खाना मिलेगा। टाटा ग्रुप ने कहा कि बाद में फ्री खाना को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा।

आइए जानते हैं कि एअर इंडिया की शुरुआत कैसे हुई, कैसे वो टाटा से सरकार के पास और सरकार से फिर टाटा के पास आई। कैसे पूरी एविएशन इंडस्ट्री में बदलाव होने वाला है और इसका फायदा कैसे यात्रियों को होने वाला है।

1932 में शुरू हुई थी एअर इंडिया
एअर इंडिया के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत अप्रैल 1932 में हुई थी। इसकी स्थापना उद्योगपति JRD टाटा ने की थी। उस वक्त नाम टाटा एयरलाइंस हुआ करता था। JRD टाटा ने महज 15 की उम्र में साल 1919 में पहली बार शौकिया तौर पर हवाई जहाज उड़ाया था, लेकिन शौक जुनून बन गया और JRD टाटा ने अपना पायलट का लाइसेंस ले लिया।

15 अक्टूबर 1932 को पहली उड़ान
एयरलाइन की पहली कॉमर्शियल उड़ान 15 अक्टूबर 1932 को भरी गई थी। तब सिर्फ सिंगल इंजन वाला ‘हैवीलैंड पस मोथ’ हवाई जहाज था, जो अहमदाबाद-कराची के रास्ते मुंबई गया था। प्लेन में उस वक्त एक भी यात्री नहीं था बल्कि 25 किलो चिट्ठ‍ियां थीं। चिट्ठियों को लंदन से ‘इम्पीरियल एयरवेज’ से कराची लाया गया था। यह एयरवेज ब्रिटेन का राजसी विमान था। इसके बाद साल 1933 में टाटा एयरलाइंस ने यात्रियों को लेकर पहली उड़ान भरी। टाटा ने दो लाख रुपए की लागत से कंपनी स्थापित की थी।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद नाम पड़ा एअर इंडिया
दूसरे विश्व युद्ध के बाद इंडिया से सामान्य फ्लाइट्स शुरू की गईं और तब इसका नाम एअर इंडिया रखा गया। इसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बनाया गया। साल 1947 में आजादी के बाद एक नेशनल एयरलाइंस की जरूरत थी। भारत सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी ली। इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एअर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया और टाटा समूह से इस कंपनी में ज्यादातर हिस्सेदारी खरीद ली। इस तरह यह पूरी तरह से एक सरकारी कंपनी बनी।

घाटे की शुरुआत
1954 में जब इसका राष्ट्रीयकरण हुआ, उसके बाद सरकार ने दो कंपनियां बनाईं। इंडियन एअरलाइंस घरेलू सेवा के लिए और एअर इंडिया विदेशी रूट के लिए तय की गई। साल 2000 तक यह कंपनी मुनाफे में रही। पहली बार 2001 में इसे 57 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। तब विमानन मंत्रालय ने इसके लिए उस समय के एमडी माइकल मास्केयरनहास को दोषी मानते हुए पद से हटा दिया था।

2007 में इंडियन एअरलाइंस को मिलाया गया
साल 2007 में एअर इंडिया को इंडियन एअरलाइंस के साथ मिला दिया गया। उस समय दोनों का घाटा 771 करोड़ रुपए था। मिलने से पहले इंडियन एअर लाइंस 230 करोड़ के घाटे में थी। जबकि एअर इंडिया 541 करोड़ के घाटे में थी। इसके बाद से लगातार घाटा बढ़ता गया और कंपनी कर्ज पर कर्ज लेती गई।

12 हजार करोड़ के पार हुआ घाटा
साल 2009-10 में इसका घाटा बढ़कर 12 हजार करोड के पार पहुंचा। घाटे की एक वजह यह भी बताई गई कि 2005 में 111 विमानों की खरीद का फैसला एअर इंडिया के लिए संकट बना। इस डील पर 70 हजार करोड़ खर्च किए गए। दूसरा कारण यह भी रहा कि इस दौरान नई एयरलाइंस कंपनियों ने ग्राहक सेवा से लेकर कम किराए की रणनीति अपनाई। इसमें भी एअर इंडिया पीछे हो गई। अक्सर यह कंपनी लेटलतीफी के लिए जानी जाती है।

निजी कंपनियों के विमान एक दिन में कम से कम 14 घंटे उड़ान भरते थे, जबकि एअर इंडिया का विमान 10 घंटे उड़ान भरता था। दूसरी ओर जिस रूट पर प्राइवेट कंपनियां सेवा देने से कतराती थीं, वहां एअर इंडिया को चलाया गया, जो घाटे का रूट हुआ करता था।

एअर इंडिया की खासियत
एअर इंडिया की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह अभी भी फाइव स्टार होटल ताज से ही खाना मंगाती है। प्लेन में खाना देने के लिए यह ताज की कैटरिंग सर्विस ताज सैट्स से इसे ऑर्डर करती है। अब जबकि सभी विमानन कंपनियां केवल पानी फ्री में देती हैं, एअर इंडिया अभी भी खाना और नाश्ता फ्री में देती है।

ऐश ट्रे गिफ्ट देती थी
1967 में एअर इंडिया में ऐश ट्रे को गिफ्ट के रूप में यात्रियों को दिया जाता था। एअर इंडिया का शुरुआती लोगो JRD टाटा ने खुद चुना था। ये धनु का निशान था, जो कोणार्क के एक गोले में धनुष चलाता दिख रहा था। शुरुआत से ही इसकी थीम लाल और सफेद रही है। 2007 में इसका लोगो बदल दिया गया। अब ये एक लाल रंग के उड़ते हुए हंस जैसा है, जिसमें कोणार्क चक्र लगा है। एअर इंडिया का शुभंकर महाराजा है।

 

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